अधिकारियों की कारगुजारी के चलते योगी का जनसुनवाई पोर्टल तोड़ रहा है दम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी उम्मीदों के साथ जनता की समस्याओं के निस्तारण के लिए 'जनसुनवाई' पोर्टल शुरू किया था। योगी को उम्मीद थी कि जब अधिकारियों को इस बात का अहसास रहेगा कि जनता की शिकायतों पर अधिकारी क्या कार्रवाई कर रहे हैं, इस पर सीएम साहब की सीधी नजर है तो अधिकारी जन समस्याओं का निस्तारण पूरी ईमानदारी से करेंगे। लेकिन योगी के अधिकारियों ने उनकी उम्मीदों को ठेंगा दिखाकर 'तू डाल−डाल तो मैं पात−पात' की कहावत को सही साबित कर दिया है। हालत यह है कि जनसुनवाई के नाम पर आवदेक की शिकायत को अधिकारी एक से दूसरे अधिकारी को अग्रसारित करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं और अंत में बिना किसी ठोस कार्रवाई के शिकायत को 'निस्तारित' दिखा दिया जाता है। इससे न केवल विभागीय कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लग रहा है बल्कि जनता का मुख्यमंत्री से विश्वास भी उठता जा रहा है। जनसुनवाई पोर्टल में आने वाली शिकायतों पर अधिकारियों द्वारा गंभीरता से कार्रवाई नहीं किए जाने से नाराज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कुछ समय पूर्व इसकी समीक्षा भी की थी


समीक्षा में पता चला कि जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायतों के निपटारे में विभागीय अधिकारी पूरी तरह से नाकाम साबित हो रहे हैं। विभागों के स्तर पर तय समय में जनता की समस्याओं का निपटारा नहीं हो रहा है। इस कारण लंबित (डिफाल्टर) मामले बढ़ते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस स्थिति को संज्ञान में लेते हुए संबंधित विभागों से कहा था कि वह इन मामलों का जल्द से जल्द निपटारा कराएं। इस संबंध में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव एसपी गोयल ने एक पत्र इन सभी विभागों को भेजा था। इसमें कहा गया था कि जनसुनवाई प्रणाली (आईजीआरएस) पर दर्ज जन शिकायतों के निस्तारण की स्थिति की समीक्षा में पाया गया कि आपके कार्यालय स्तर पर समय सीमा के बाद लंबित मामलों मामलों की तादाद अत्याधिक है, लेकिन सीएम की सख्ती के बाद भी हालात बदले नहीं हैं।


बात यहीं तक सीमित नहीं थी। मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह भी चेताया था कि सी श्रेणी प्राप्त कर पुनर्जीवित हुए संदर्भों के मुकाबले आई आख्याएं भी अधिक संख्या में कार्यवाही के लिए लंबित हैं। ऐसे में इन लंबित मामलों का नियमानुसार जल्द समाधान कराया जाए। इस संबंध में संबंधित अपर मुख्य सचिव व प्रमुख सचिवों को पत्र भेजा गया। असल में इस मामले में हर जिले का हर महीने परफार्मेंस का आकलन किया जाता है। हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तमाम जिलों के जिलाधिकारियों, पुलिस कप्तान व विभागों के प्रमुख सचिवों के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग में सबसे ज्यादा नाराजगी समस्याओं के समाधान तय समय में न होने पर जताई थी। उन्हें कई ओर से फीडबैक मिला था कि शिकायतों के निपटारे में न केवल जिला स्तर पर बल्कि विभागों के स्तर पर भी लापरवाही हो रही है। 

इसको उदाहरणों से समझा जा सकता है। योगी सरकार के ऑनलाइन शिकायत पोर्टल 'जनसुनवाई' पर झूठी रिपोर्ट देकर फर्जी निस्तारण किए जा रहे हैं। अब घपले−घोटालों के लिए चर्चित स्वास्थ्य विभाग में ऐसा ही मामला सामने आया है। अलीगढ़ में कॉपर−टी के लिए घूस लेने की आरोपित डॉक्टर के खिलाफ चार बार पोर्टल पर शिकायत हुई। विभाग ने डॉक्टर को मूल तैनाती स्थल चंडौस सीएचसी पर दोबारा भेजने की झूठी रिपोर्ट दी। जबकि, उसे अनुरोध पर शहर की ही दूसरी पीएचसी दे दी गई। पीड़ित पक्ष ने पुनः इस फर्जीवाड़े की पोर्टल पर शिकायत की। जब इस संबंध में सीएमओ डॉ. एमएल अग्रवाल से पूछा गया तो उनका कहना था कि डॉ. जमाल की संबद्धता खत्म कर दी गई है। वे केके जैन पीएचसी के कैंपस में ही रहती हैं। कोई कुछ भी आरोप लगा सकता है। ऐसी कोई परिस्थिति रही होगी कि उन्हें पीपीसी सेंटर पर पुनः संबद्ध करना पड़ा।